1.जानवरों व अन्य प्राणियों को मारने वालो के लिए किसी भी धर्म में कोई जगह नहीं हैं | -सम्राट अशोक
2. किसी भी व्यक्ति को सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरों के धर्म की निंदा नहीं करनी चाहिए.-सम्राट अशोक
अशोका के अनमोल विचार - Ashoka the Great quotes in Hindi
3. सबसे महान जीत प्रेम की होती है. यह हमेशा के लिए दिल जीत लेती है|-सम्राट अशोक
4.किसी भी दूसरे सम्प्रदायों की निंदा करना गलत है, असली आस्तिक वही है जो उन सम्प्रदायों में जो कुछ भी अच्छा है उसे सम्मान देता है | -सम्राट अशोक
5.सफल राजा वही होता हैं, जिसे पता होता हैं कि जनता को किस चीज की जरूरत हैं|-सम्राट अशोक
6.कोई भी व्यक्ति जो चाहे प्राप्त कर सकता हैं, बस उसे उसकी उचित कीमत चुकानी होगी | -सम्राट अशोक
7. एक राजा से ही उसकी प्रजा की पहचान होती हैं| -सम्राट अशोक
8. आप नहीं जानते कि मैं किस हद तक यह चाहता हूँ और अगर कुछ लोग समझते भी है तो वे यह नहीं समझते कि मेरी इस इच्छा की पूरी हद क्या है. -सम्राट अशोक
9.मैंने जानवरों और कई अन्य प्राणियों को मारने के खिलाफ कानून बनाया है लेकिन लोगों के बीच धर्म की सबसे बड़ी प्रगति जीवित प्राणियों को चोट न पहुंचाने और उन्हें मारने से बचाने का उपदेश देने से आती है| -सम्राट अशोक
अशोक महान के अनमोल विचार - Samrat Ashok Quotes in Hindi
10. हमें कई कारणों से अन्य धर्मों का सम्मान करना चाहिए. ऐसा करने से आप अपने धर्म को विकसित करने में मदद करते हैं और दुसरे धर्मों को भी सेवा प्रदान करते है| -सम्राट अशोक
11.दूसरो के द्वारा बताये गये सिद्धांतो को सुनने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए |-सम्राट अशोक
12. अपने सम्प्रदाय की गरिमा दिखाने के उद्धेश्य से किसी का आदर नहीं करना चाहिए और न ही किसी और के सम्प्रदाय को नीचा दिखाना चाहिए |-सम्राट अशोक
13. तीन कार्य जो हमें सदा स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, माता-पिता का सम्मान, सभी जीवो पर दया, और सत्य वचन |-सम्राट अशोक
14.जितना कठिन संघर्ष करोगे, आपके जीत कि ख़ुशी भी उतनी ही बढ़ जयेगी |-सम्राट अशोक
15. वह व्यक्ति जो अपने सम्प्रदाय को ऊँचा दिखाने के लिए दूसरे संप्रदाय का मजाक बनाता है, वह ऐसा करके अपने ही सम्प्रदाय को बहुत नुकसान पहुंचाता है |-सम्राट अशोक
16. आप सभी मेरे बच्चे के समान हैं. मैं इस दुनिया में और मरने के बाद भी हद से ज्यादा आपका भला और ख़ुशी चाहता हूँ |-सम्राट अशोक
17.हर धर्म हमें प्रेम, करुणा और भलाई का पाठ पढाता हैं. अगर हम इसी दिशा में आगे बढे तो कभी किसी के बीच कोई विवाद ही नहीं होगा |-सम्राट अशोक
18. अपने धर्म की प्रगति इसी में हैं कि हम अन्य धर्म का भी सम्मान करे |-सम्राट अशोक
19.अपने धर्म का सम्मान और दुसरो के धर्म की निंदा करना किसी धर्म में नहीं बताया गया हैं |-सम्राट अशोक