धातुओं के कमरे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। दहयुए कई प्रकार के दोषोंको दूर करने में भी सहायक है। इसलिए महोलाओं और पुरुषों को भी कई तरह की धातुओं की अंगूठियां पहनाई जाती है। महिलाओं को शादी के बाद बिछिया, नाक की लौंग और दूसरे आभूषण पहनने के लिए कहा जाता था। अगर आपके शरीर के कुछ खास अंगों पर धातु हो, तो आप अचानक से अपना शरीर नहीं छोड़ सकतीं है।



तांबे की अंगूठी का भी साधना की दिशा में महत्त्व है। जब लोगों को गहन साधना के मार्ग पर डालते हैं, तो हम उन्हें तांबे की अंगूठी देते हैं। मुख्य रूप से आध्यात्मिक साधना का मकसद जीवन के सुर को सर्वोच्च बिंदु तक ले जाना होता है।

जब लोग बहुत तीव्र साधना करते हैं, तो इस बात की संभावना होती है कि वे अचानक शरीर से मुक्त हो सकें।
लेकिन शरीर पर धातु हो, तो कुछ भी नहीं होता है। तांबा धातु हमेशा उस प्रक्रिया को बाधित कर देती है क्योंकि वह शरीर के साथ आपका संपर्क मजबूत करता है। कुछ हद तक सोना भी ऐसा करता है। सोना पहनना अच्छा माना गया है।
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