Hindi Diwas : हिंदी या अधिक सटीक रूप से आधुनिक मानक हिंदी, भारत में बोली जाने वाली एक इंडो-आर्यन भाषा है। हिन्दी को हिंदुस्तानी भाषा के मानकीकृत और संस्कृतकृत रजिस्टर के रूप में वर्णित किया गया है, जो खुद दिल्ली और उत्तरी भारत के पड़ोसी क्षेत्रों की मुख्यतः खारिबोली बोली पर आधारित है। 

Hindi Diwas image

हिन्दी दिवस पर अनमोल वचन | Hindi Divas Quotes In Hindi

1. हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति की आत्मा है – कमलापति त्रिपाठी

2. हिंदी का योगदान भारत के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है , अगर भारत के लोग अपने देश को विकसित देखना चाहते हैं तो उन्हें हिंदी के महत्व को समझना होगा – अज्ञात 

3. हिंदी भाषा में मुख से निकलने वाले सभी शब्द ह्रदय से ही निकलते हैं इस लिए इसे ह्रदय की भाषा भी कहा जाता है – अज्ञात  

4. हिन्दी भाषा भारत की राष्ट्र भाषा है ,अगर मुझे भारत के लिए एकमात्र भाषा का नाम लेने के लिए कहा जाए तो वह निश्चित रूप से हिन्दी ही होगी – कामराज

5. कोई भी  राष्ट्र अगर अपनी भाषा छोड़ता है तो वह  राष्ट्र नहीं कहलाता ,सीमाओं की रक्षा से भी जरूरी भाषा की रक्षा करना है – थास्मिस डेविस

6. हिंदी का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न सम्मान है – महात्मा गांधी

7. भारतीय संस्कृति की आत्मा है: हिंदी – कमलापति त्रिपाठी

8. जो सम्मान, संस्कृति और अपनापन हिंदी बोलने से आता है  वह इंग्लिश बोलने में दूर-दूर तक दिखाई ही नहीं देता – अज्ञात

9. हिन्दी ही देश की एकता की कड़ी है – डॉ. जाकिर हुसैन

हिंदी दिवस कोट्स | Hindi Diwas Quotation In Hindi


10. हिंदी को पढ़ना और पढ़ाना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है और उसे हम सभी को अपनाना जरूरी है – लालबहादुर शास्त्री

11. हिंदी के माध्यम से हम पुरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो सकते हैं – महर्षि स्वामी दयानन्द

12. हिंदी है हम और हिंदी ही हमारी पहचान है – अज्ञात

13. भारत की राष्ट्रभाषा तो हिंदी है ही, हिंदी ही जनतंत्रात्मक भारत में राजभाषा भी होगी – राजगोपालाचारी

14. हिंदी का विकास एवं प्रचार कोई नहीं रोक सकता — पंडित गोविंद बल्लभ पंत

15. हमारे भारतीय राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत हिन्दी है – सुमित्रानंदन पंत

16. जिस भी देश को अपनी मातृ भाषा  और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं, वह कभी उन्नत नहीं हो सकता

17. हिन्दी की अपनी निश्चित संस्कार और धारा है – जैनेन्द्रकुमार

18. दूसरे देश की वास्तु और भाषा दोनों पर कभी यकीन मत करें ,अपनी ही भाषा म उन्नति करो  – भारतेंदु हरिश्चन्द्र

Previous Post Next Post