नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई पहलुओं का जिक्र किया है। चाणक्य कहते हैं कि सुख-सुविधाओं का वास्तव में अर्थ आत्म संतुष्टि और आत्मा से है। चाणक्य का कहना है कि इंसान को खुशियों के लिए सिर्फ अपने आचरण में बदलाव करना होता है। नीति शास्त्र में सुख की प्राप्ति के लिए कई बातों को विस्तार से बताया गया है।



त्याग-

चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के अंदर त्याग की भावना होती है। वह कभी दुखी नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति को परम सुख की प्राप्ति होती है।

अनुशासन-

चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अनुशासित होता है वह हर काम करने में सफल होता है। अनुशासन उसे धैर्यवान और संतुलन प्रदान करता है। चाणक्य कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति हर मुश्किल काम को बड़ी आसानी से हल कर लेते हैं।

सत्य-

 चाणक्य के अनुसार, सत्य ही असल सत्य है। सत्य के रास्ते पर चलने से व्यक्ति को सुख के अलग अनुभव का एहसास होता है। सत्य समाज में मान-सम्मान दिलाता है।

प्रकृति-

चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा प्रकृति का आभार प्रकट करना चाहिए। व्यक्ति को कभी भी प्रकृति का नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। प्रकृति इंसान को जीवन प्रदान करती है। इसलिए वह उसका कर्जदार है।

अध्यात्म-

चाणक्य कहते हैं कि अध्यात्म के जरिए मनुष्य को शांति प्राप्त होती है। मन की एकाग्रता और ईश्वर से जुड़ने के लिए अध्यात्म जरूरी है।

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