एक कहावत है जैसा खाए अन्न वैसा हो मन, इसका मतलब ये हुआ कि हम जिस तरह का खाना खाते हैं उसका सीधा असर हमारे शरीर पर तो पड़ता ही है साथ ही हमारे मन मस्तिष्क पर भी पड़ता है। लेकिन खाना खाने के लिए जितनी मायने खाने की पौष्टिकता रखती है, उससे कहीं ज्यादा इस बात का असर होता है कि खाना किस तरीके से खाया जा रहा है। आमतौर पर लोग, खाना खाने के लिए डाइनिंग टेबल का इस्तेमाल करते हैं या फिर लिविंग रूम की सेंटर टेबल का। यहां तक कि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बेड में बैठकर खाना खाते हैं। लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं खाना खाने के ऐसे पारम्परिक तरीकों के बारे में, जिन्हें आजमाकर आप खाने का लुत्फ़ तो उठा ही सकते हैं, साथ ही ये तरीके आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं।

कटलरी की जगह हाथों का इस्तेमाल करना

आजकल के मॉडर्न एरा में खाना कटलरी मतलब चम्मच और कांटे से खाने का चलन है, जबकि हाथ से खाना खाने का मज़ा ही अलग होता है। हाथों से भोजन करना न केवल शरीर बल्कि मन से भी जुड़ा हुआ है। उंगलियों से खाना खाने की भारतीय परंपरा के पीछे एक तर्क छिपा है। हाथों से भोजन करने से शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का स्वास्थ्य लाभ मिलता है साथ ही संतुष्टि भी मिलती है। ऐसा माना जाता है के जब आप अपने हाथ से खाना खाते हैं तो, ये पांचों तत्व पेट में पाचक रस को जागृत करते हैं और खाना जल्दी हजम होने में मदद मिलती है। उंगलियों की नस पाचन क्रिया को बढ़ावा देती है। जब आप खाने का स्वाद हाथ से महसूस करते हैं तब पेट को भी सकारात्मक सन्देश मिलता है और खाना आपके स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हो जाता है।

जमीन पर बैठकर खाना खाने के फायदे


आजकल के चलन में लोग डाइनिंग टेबल पर ही बैठकर खाना खाते हैं ,लेकिन जब व्यक्ति फर्श पर बैठकर खाना खाता है तब वह एक उपयुक्त स्थिति में खाने के लिए बैठता है और उसके पेट में पाचन संबंधी रस स्रावित होता है, जो भोजन को संसाधित करने के लिए तैयार हो जाता है। जब व्यक्ति फर्श पर बैठता है, तो तंत्रिका बेहतर प्रदर्शन करती है और सभी संकेतों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करती है; इसके अलावा, पेट और सेरेब्रम को पूर्ण महसूस करने के संकेतों से संबंधित समय मिलता है। नतीजतन, फर्श पर बैठकर खाने से वजन में भारी कमी आती है। अगर आपको कोई हार्ट प्रॉब्लम है आपको जल्दी ही नीचे बैठकर खाना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि जमीन पर बैठकर खाने से ब्लड का सर्कुलेशन हार्ट तक आसानी से होता है। जमीन पर बैठकर खाने से जोड़ों के दर्द की समस्या ठीक हो जाती है क्योंकि जोड़ों में चिकनाई बनी रहती है। लोग जब जमीन पर बैठकर खाते हैं तब वो सुखासन या पद्मासन में बैठते हैं ये दोनों की पाचन क्रिया को सुचारु बनाने में मदद करते हैं।

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पत्तों में भोजन करने की परंपर

प्राचीन समय से ही पत्तों को भोजन परोसने के लिए मुख्य प्लेटों के रूप में जाना जाता है। जब से मानव जंगलों में रहता था, पत्तियों का उपयोग विभिन्न कारणों से करता था, जैसे कि पत्तियों में खाना खाने के साथ पत्तियों को ही वस्त्र के रूप में इस्तेमाल करना। भारतीय संस्कृति में, पत्तों की विभिन्न किस्मों का उपयोग जीविका परोसने के लिए किया जाता है। आमतौर पर भोजन, केले के पत्तों पर परोसने की परंपरा है। केले के पत्तों की सफाई के रूप में इनके उपयोग करने से पहले पत्तों पर पानी छिड़का जाता है। केले के पत्ते (केले के पत्ते में भोजन के फायदे) पर गरमा गरम खाना परोसने से पत्ते में मौजूद पोषक तत्व भी खाने में मिल जाते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। केले के पत्ते में खाना खाने से उस खाने का पोषण कई गुना तक बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है। केले के पत्ते पर नियमित खाना खाने से आपके शरीर में किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं होती है, क्योंकि ये शरीर से एंटीबैक्टीरिया को खत्म कर देता है, जो कि शरीर को स्वस्थ रखता है। केले के पत्ते पर खाना खाने से खाने के स्वाद के साथ उसकी खुशबू भी बढ़ जाती है।

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